सीएसआर नीति
प्रस्तावना
सीएसआर नीति
कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्पोरेट संस्थान द्वारा अपने लाभ के हिस्से को साझा करते हुए समाज को दी गयी सहायता व समाज द्वारा दिये गये बलिदानों को ध्यान में रखते हुए समाज के प्रति उत्तरदायित्व होता है। आईआईएफसीएल, देश की प्रमुख अवसंरचना वित्त कंपनी पूरे देशभर में अवसंरचना परियोजनाओं का वित्तपोषण कर रही है।
आईआईएफसीएल, सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम, ने आईआईएफसीएल द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के आस-पास के क्षेत्रों में विशेष जोर देते हुए आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों के साथ विकसित क्षेत्रों में रहने वाले समाज व लोगों की आवश्यकता के प्रति अपना दायित्व का निर्वहन किया है। यद्यपि राज्य अनेक विकास परियोजनाएं चला रही हैं तथापि आईआईएफसीएल अपनी ओर से देश भर में लोगों की जीवन शैली में सुधार लाने के लिए सामाजिक, आर्थिक, ढांचागत, शैक्षणिक, सांस्कृतिक गतिविधि इत्यादि में भाग लेता है/योगदान देता है एवं अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।
आईआईएफसीएल को अपनी ओर से न केवल समाज के बड़े हिस्से होने की संतुष्टि प्रदान करेगा जिसने इसे बनाया है अपितु एक माहौल भी तैयार करेगा जो अंतत: आईआईएफसीएल को परियोजनाओं एवं कंपनी को रोजगार योग्य लोगों के अलावा शांतिप्रिय समुदाय सहित एक आर्थिक रूप से उत्पादक समाज से अत्ंयत आवश्यक संसाधन भी उपलब्ध कराएगा।
आईआईएफसीएल हर समय सामाजिक तौर पर जिम्मेदारी भरी रीति से कार्य करेगा। यहां तक कि सामान्य कारोबारी क्रियाकलापों में भी आईआईएफसीएल इस रीति में कारोबार करने की कोशिश करेगा जो कारोबार व समाज दोनों को लाभप्रद हो एवं अपने सामान्य कारोबारी क्रियाकलापों में भी सतत विकास में अपनी सामाजिक जिम्मेदारी की दृष्टि और प्रतिबद्धता को नहीं छोड़ेगा। इसके अलावा आईआईएफसीएल जहां भी दैनिक कारोबार के संचालन में संभव हो ‘साझा मूल्य’ का दृष्टिकोण अपनाते हुए कारोबारी लाभ के अतिरिक्त सामाजिक मूल्य व्यापार लाभ के लिए सामाजिक जिम्मेदारी पहल के साथ ही सामाजिक मूल्य कर रचना के लिए सामाजिक जिम्मेदारी की पहलों का इस्तेमाल करेगा।
1. उद्देश्य:
इन प्रयासों का उद्देश्य न केवल स्वास्थ्य, शिक्षा, नागरिक सुविधा इत्यादि की सुविधा प्रदान करते हुए समाज के वंचित वर्गों की सहायता करना है अपितु अधिक से अधिक पर्यावरण जिम्मेदारियों को प्रोत्साहन एवं सतत विकास के लिए पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास व प्रसार को बढ़ावा देते हुए स्व रोजगार सहित कौशल का विकास, रोजगार के अवसर पैदा करना भी है। तदनुसार इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए शुरू किए जाने वाले क्रियाकलाप निम्नलिखित हैं:
- भूख, गरीबी एवं कुपोषण का उन्मूलन करना, निवारणात्मक स्वास्थ्य सेवा एवं स्वच्छता को बढ़ावा देना एवं सुरक्षित पेय जल उपलब्ध कराना।
- विशेष तौर पर बच्चों, महिलाओं वरिष्ट नागरिकों एवं विकलागों के बीच व्यावसायिक कौशल तथा जीविकापयोगी परियोजनाओं को बढ़ावा देते हुए विशेष शिक्षा व रोजगार सहित शिक्षा को बढ़ावा देना।
- लैंगिक समानता को प्रोत्साहन, महिलाओं को सशक्त बनाना एवं महिला व अनाथ बच्चों के लिए घरों व छात्रावासों वृद्धाश्रमों की स्थापना, डे केयर केंद्रों की स्थापना एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए ऐसी अन्य सुविधाएं व सामाजिक व आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्गों के सामने आ रही असमानता कम करने के उपाय।
- पर्यावरण संबंधी स्थिरता एवं पारिस्थितिकी संतुलन सुनिश्चित करना, वनस्पति का संरक्षण, पशु कल्याण, कृषि वानिकी, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं मृदा, वायु व जल की गुणवत्ता बनाये रखना।
- ऐतिहासिक महत्व के भवनों व स्थलों एवं कलाकृतियों का जीर्णोद्धार सहित राष्ट्रीय विरासत, कला व संस्कृति का संरक्षण, सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापना, पारंपरिक कला व हस्तकला का संवर्धन व विकास।
- सशस्त्र बलों के बुजुर्गों, श्हीदों की विधवाओं एवं अनके आश्रितों के लाभ के उपाय।
- ग्रामीण खेलों, राष्ट्रीय स्तर पर मान्यताप्राप्त खेलों, पैरालंपिक खेलों एवं ओलंपिक खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशिक्षण।
- प्रधान मंत्री राहत कोष अथवा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्प संख्यक व महिलाओं के सामाजिक आर्थिक विकास, राहत व कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्थापित अन्य निधि में अंशदान।
- केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित अकादमिक संस्थानों के प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेटरों को प्रदान किये जाने वाला अंशदान अथवा निधियां।
- ग्रामीण विकास की परियोजनाएं।
सीएसआर का स्पष्ट तौर पर क्षमता निर्माण, जन समुदाय का सशक्तिकरण, समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण, हरित एवं ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकियों का संवर्धन, पिछड़े क्षेत्रों का विकास एवं समाज के हाशिए पर धकेले गये व वंचित लोगों का उत्थान पर जोर होता है।
2. ध्यान दिये जाने वाले क्षेत्र
2.1 स्थायी आय सृजन एवं आजीविका के लिए कौशल विकास
- बेरोजगार युवाओं को बेहतर रोजगार क्षमता एवं स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण करते हुए क्षमता निर्माण।
- कुशल युवाओं की भर्ती करते हुए परियोजनाओं को बुनियादी सहायता प्रदान करने के लिए युवाओं को व्यावसायिक/तकनीकी/ पेशेवर प्रशिक्षण प्रदान करना।
- उद्यम विकास को बढ़ावा देना।
- स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देना।
2.2 साक्षरता/शिक्षा
- चारदीवारी, लड़कों/लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय एवं पेय जल के प्रावधान सहित विद्यालय भवनों का निर्माण/मरम्मत एवं अन्य सुविधाएं
- विद्यालयों को वरदी, पुस्तकों, स्टेशनरी, कंप्युटर, प्रयोगशाला उपकरण इत्यादि का प्रावधान।
- शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति/फैलोशिप।
- महिला शिक्षा इत्यादि पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रौढ़ शिक्षा को बढ़ावा देना।
- परामर्श एवं अन्य माध्यमों से छात्रों द्वारा विद्यालय छोड़ने की मनोवृत्ति एवं अनुपस्थिति को कम करना।
- कंप्यूटर साक्षरता एवं प्रौद्योगिकी समर्थित शिक्षण को बढ़ावा देना।
- अंतरों को पाटने के लिए विशेष कोचिंग/निविष्टियों के माध्यम से उच्च शिक्षण की स्थापना करना/बढ़ावा देना।
- वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए/संगठन/ढांचागत सहायता के माध्यम से संस्थान खोलते हुए तकनीकी/पेशेवर/चिकित्सा शिक्षण बढ़ावा देना।
2.3 सुरक्षित पेय जल/स्वास्थ्य सेवा एवं स्वच्छता
- बोर वेलों, ट्यूब वेलों एवं जल प्रशोधन संयत्रों इत्यादि की स्थापना करते हुए सुरक्षित पेय जल उपलब्ध कराना।
- मोबाइल मेडिकल वेन इत्यादि के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देना।
- स्तनपान कराने वाली माताओं, बच्चों, किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं को पोषक तत्व उपलब्ध कराना।
- गंभीर/पुरानी बीमारियों के बारे में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभियान चलाना।
- परियोजना चिकित्सालयों में शन्य चिकित्सा (आपरेशन) सहित ओपी/आईपी उपचार उपलब्ध कराना।
- समय-समय पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करना।
- विकलांगों एवं मानिसिक रूप से विकलांग लोगों को विशेष सहायता सेवाओं की पेशकश करना।
- पशु चिकित्सा को सहायता देना।
- यथोचित जल निकास प्रणाली एवं शौचालयों के निर्माण से स्वच्छता को बढ़ावा देना।
- चिकित्सालय/मेडिकल कॉलेज इत्यादि की स्थापना के लिए सहायता देना।
2.4 कृषि एवं ढांचागत विकास:
- वाटर शेड विकास/वर्षा जल संचयन/जल संरक्षण उपायों को बढ़ावा देना।
- सड़क, पुल, बाजार, परिवहन सुविधा, सामुदायिक कल्याण केंद्रों का विकास, नगर व शहरों का सौंदर्यीकरण, अन्य नागरिक सुविधाएं इत्यादि।
- गैर परंपरागत ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना।
- गावों में सार्वजनिक भवनों का विद्युतिकरण।
2.5 भारतीय पंरपराओं को ध्यान में रखते हुए विरासत, कला, संगीत व संस्कृति को संरक्षण व संवर्धन
2.6 हरित एवं ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकियों का संवर्धन
2.7 समाज का सशक्तिकरण
2.8 पिछड़े क्षेत्रों का विकास
2.9 वंचित एवं हाशिए पर धकेले गये समाज का उत्थान
2.10 उपरोक्त उल्लिखित प्रत्येक मद के अंतर्गत कार्य क्षेत्रों एवं महत्वपूर्ण क्षेत्र उदाहरणात्मक हैं परिपूर्ण नहीं।
3. बजट
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के उपबंधों के अनुसार कंपनी प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अपनी कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व नीति के अनुसरण में अंतिम पूर्ववर्ती वित्तीय वर्षों में कंपनी द्वारा अर्जित औसत निवल लाभ का कम से कम दो प्रतिशत तक व्यय करेगी (‘औसत निवल लाभ की गणना कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 198 के उपबंधों के अनुसार की जाएगी)।
इसके अतिरिक्त यह देखते हुए कि आईआईएफसीएल ने राष्ट्रव्यापी प्रचालन किया है, कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए निर्धारित राशि खर्च करने के लिए राष्ट्र भर में अच्छी परियोजनाओं को वरीयता देगा।
तदनुसार आईआईएफसीएल सीएसआर क्रियाकलापों के लिए अपने निदेशक मंउल के अनुमोदन से प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अंतिम पूर्ववर्ती वित्तीय वर्षों में अर्जित कंपनी के औसत निवल लाभ के आधार पर बजट आबंटित करता है।
इसके अलावा सीएसआर बजट के खर्च करने के संबंध में यह ध्यान रखा जाता है कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए योजनाबद्ध सीएसआर क्रियाकलापों/परियोजनाओं के लिए आबंटित बजट उस वर्ष में ही खर्च किया जाएगा। यदि किसी कारणवश वर्ष के बजट का उपयोग नहीं किया जाता है तो वह समाप्त नहीं होगा एवं सीएसआर क्रियाकलापों पर व्यय के लिए आगामी वर्ष में अग्रेनीत किया जाएगा जिनकी पिछले वर्ष में कार्यान्वयन की योजना बनाई गयी थी लेकिन किसी कारणवश पूरी न हो सकी। हालांकि उस वर्ष के भीतर किसी भी वर्ष का अप्रयुक्त बजट खर्च करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
4. संगठनात्मक तंत्र
4.1 सीएसआर समितियां:
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के अनुसार सीएसआर के लिए निम्नलिखित सदस्यों वाले मंडल स्तरीय समिति गठित किए जाने का प्रस्ताव किया जाता है।
- अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आईआईएफसीएल – समिति के अध्यक्ष
- सरकार द्वारा नामित निदेशक
- पूर्ण कालिक निदेशक
- एक स्वतंत्र निदेशक
इसके अतिरिक्त निम्नलिखित सदस्यों को मिलाकर सीएसआर कार्यान्वयन समिति गठित किए जाने का प्रस्ताव किया गया जाता है:
- मुख्य महाप्रबंधक –सीएसआर (नोडल अधिकारी)
- मुख्य महाप्रबंधक (ऋण)
- मुख्य वित्तीय अधिकारी
- महाप्रबंधक –सीएसआर
4.2 निदेशक मंडल की सीएसआर समिति के कार्यक्षेत्र
- सीएसआर परियोजनाओं के सभी प्रस्ताव निदेशक मंडल की सीएसआर समिति के समक्ष विचारार्थ व अनुमोदनार्थ रखे जाएंगे।
- समिति कंपनी का सीएसआर एजेंडा वांछित दिशा में आगे ले जाने के लिए यथोचित नीतियां व रणनीतियां तैयार करेगी।
- समिति वार्षिक सीएसआर बजट में शामिल की जाने वाली निधि के आबंटन की सुस्तुति करेगी एवं सीएसआर के वार्षिक बजट के लिए निदेशक मंडल से अंतिम अनुमोदन प्राप्त करेगी।
- समिति परियोजनाओं के निष्पादन की प्रगति की समीक्षा व निगरानी करेगी एवं ऐसी संबंधित क्रियाकलाप जारी रखेगी जो समिति समुचित समझे।
- समिति जब भी आवश्यक हो बैठक करेगी एवं प्रत्येक बैठक के आयोजन के लिए कार्यवृत्त मंडल के समक्ष रखेगी। निदेशक मंडल की सीएसआर समिति का कोरम दो सदस्यों का होगा।
4.3 सीएसआर कार्यान्वयन समिति का कार्यक्षेत्र
- संगठन के भीतर अलग-अलग विभागों के सीएसआर पहलों के समन्वयन की सुविधा प्रदान करना।
- संगठन द्वारा किए गये विभिन्न प्रयासों पर रिपोर्ट देना।
- आशय से संबंधित यथोचित कार्पोरेट संचार रणनीति बनाना।
- मंडल स्तरीय समिति को सीएसआर के क्रियाकलापों के कार्यान्वयन की प्रगति के संबंध में नियमित तौर पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना।
- नोडल अधिकारी की अध्यक्षता वाली सीएसआर कार्यान्वयन समिति का कोरम 3 सदस्यों का होगा।
4.4 सीएसआर प्रकोष्ठ:
कार्पोरेट संचार विभाग के तहत सीएसआर प्रकोष्ठ पहले से ही काम कर रहा है।
सीएसआर प्रकोष्ठ द्वारा सीएसआर की पहलों के सभी प्रस्ताव नोडल अधिकारी की अध्यक्षता वाली सीएसआर समिति को विचारार्थ एवं प्रदेय हेतु रखे जाते हैं। समिति मेरिट के आधार पर प्रत्येक सीएसआर पहल/योजना को निदेशक मंडल की सीएसआर समिति के अनुमोदन के लिए संस्तुति करती है।
आईआईएफसीएल का मंडल निदेशक मंडल की सीएसआर समिति द्वारा की गई संस्तुतियों पर विचार करने के पश्चात कंपनी की कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व नीति का अनुमोदन करेगा।
5. सीएसआर परियोजनाओं व क्रियाकलापों के लिए निधियों के प्रस्ताव व आबंटन पर विचार करने के लिए दिशानिर्देश
- आईआईएफसीएल देश के किसी भी एक पिछड़े जिले के विकास के लिए एक कम से कम परियोजना एवं पर्यावरणीय स्थिरता पर कम से कम एक परियोजना की शुरूआत करेगा। उपरोक्त संदर्भित पिछड़े जिले वे हैं जो योजना आयोग, भारत सरकार द्वारा अपनी पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष (बीआरजीएफ) योजना के लिए चिन्हित है।
- इसके अतिरिक्त वैयक्तिक प्रस्ताव सीएसआर नीति की रूपरेखा के भीतर हों।
- प्रत्येक सीएसआर प्रस्ताव को परियोजना विधि में कार्यान्वित किया जाना है जिसमें क्रियाकलाप, समय सीमा, वित्तीय अपेक्षा, संगठनात्मक जिम्मेदारियां, अपेक्षित परिणाम एवं स्थायी पहलु परिभाषित हो। सीएसआर प्रकोष्ठ प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगा एवं अपनी संस्तुतियां देगा।
- इसके अतिरिक्त किसी सीएसआर का चयन अभीष्ट लाभार्थियों की मांग तक पहुंच के लिए आधारभूत सर्वोक्षण/प्रयोग अथवा किए गये अध्ययन के आधार पर किया जाएगा। आईआईएफसीएल अपने आंतरिक अनुभव एवं संसाधनों अथवा कुछ विशेषताप्राप्त एजेंसी के माध्यम से अथवा मान्यताप्राप्त माध्यमिक अधिकारिक स्रोतों से इस संबंध में विश्वसनीय डेटा से युक्त कोई आवश्यक आकलन अध्ययन कर सकता है। इस जरूरत का आकलन प्रमुख हितधारकों की अपेक्षाओं पर आधारित फीडबैक प्राप्त करते हुए, केंद्र/राज्य सरकार एवं/अथवा जिला/स्थानीय प्रशासन के परामर्श से अथवा ग्राम स्तर पर ग्राम सभा व पंचायती राज संस्थानों से परामर्श करते हुए किया जा सकता है।
- कौशल विकास से युक्त सीएसआर परियोजनाओं के चयन के मामले में सरकारी संस्थाओं की परियोजनाओं को वरीयता दी जाएगी।
- चरणबद्ध तरीके में निधियों का निर्मोचन प्रस्ताव में स्पष्ट तौर पर परिभाषित होगा ताकि समुचित उपयोगिता एवं किस्त जारी करने से पूर्व आवधिक प्रगति रिपोर्टों का प्रस्तुतिकरण सुनिश्चित किया जा सके।
- परियोजना के प्रस्ताव आईआईएफसीएल द्वारा अपने स्वयं के आधार पर अथवा सलाहकार में माध्यम से जो भी आवश्यक हो, तैयार किए जा सकते हैं। सीएसआर नीति के दायरे के भीतर राज्य/जिला प्राधिकरणों अथवा स्थानीय निकायों अथवा प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठनों द्वारा तैयार सीएसआर परियोजनाओं के मामले में भी सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के साथ कार्यान्वयन पर विचार किया जा सकता है। हालांकि गैर सरकारी संगठनों द्वारा प्रस्तुत ऐसी परियोजनाएं विनिर्दिष्ट स्थानों में कार्य करने मंे उनकी साख, क्षमता एवं तैयारियों के सत्यापन के पश्चात की अनुमोदित की जाएगी।
- इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि बड़ी परियोजनाओं की अत्यधिक दर्शनीयता, अधिक से अधिक लाभार्थियों एवं व्यापक व लंबे समय तक चलने वाली है तो आईआईएफसीएल संसाधनों के अभीष्ट उपयोग एवं अधिक सामाजिक-आर्थिक् अथवा पर्यावरणीय प्रभाव के लिए विशेषज्ञता व क्षमताओं का तालमेल बैठाने में बड़ी परियोजनाओं की योजना बनाने, कार्यान्वयन करने एवं निगरानी करने के लिए अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ हाथ मिला सकता है। हालांकि आईआईएफसीएल इस तरीके में परियोजनाओं अथवा कार्यक्रमों अथवा सीएसआर पहलों को शुरू करने के लिए अन्य कंपनियों से सहयोग ले सकता है जो संबंधित कंपनियों की सीएसआर समिति ऐसी परियोजनाओं अथवा कार्यक्रमों पर अलग से रिपोर्ट देने की स्थिति में हो।
6. सीएसआर परियोजनाओं/क्रियाकलापों के लिए कार्यान्वयन रणनीति
परंतु यह कि-
- यदि ऐसा न्यास (ट्रस्ट), सोसाइटी अथवा कंपनी, कंपनी, इसकी धारक अथवा सहायक कंपनी अथवा सहयोगी कंपनी द्वारा स्थापित नहीं की गयी है, उसके पास इसी तरह की कार्यक्रम एवं परियोजनाएं शुरू करने में तीन वर्षों का स्थापित ट्रेक रिकार्ड होगा।
- कंपनी ने परियोजना अथवा कार्यक्रम इन संस्थाओं के माध्यम से शुरू किए जाने, ऐसी परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों पर निधियों की उपयोगिता की कार्यप्रणाली एवं निगरानी व रिपोर्टिंग तंत्र विनिर्दिष्ट किया है।
कंपनी का मंडल अपने निम्नलिखित के माध्यम से सीएसआर क्रियाकलाप शुरू करने का निर्णय ले सकता है:
- आईआईएफसीएल स्वयं के माध्यम से
- पंजीकृत न्यासों/समितियों के माध्यम से
- आईआईएफसीएल अथवा इसकी धारक अथवा सहायक कंपनी अथवा सहयोगी कंपनी द्वारा स्थापित कंपनी के माध्यम से
- संबंधित राज्य/जिला प्राधिकरणों के माध्यम से
प्रत्येक परियोजना में प्रारंभ करने की तिथि, पूर्ण करने की तिथि एवं संभावित लाभप्रदता इत्यादि का उल्लेख करते हुए कार्यान्वयन की सूची विनिर्दिष्ट होगी।
सीएसआर क्रियाकलाप के कार्यान्वयन की निगरानी मंडल स्तरीय समिति द्वारा की जाएगी।
कार्यान्वयन की कार्य पद्धति निम्नानुसार होगी:-
6.1 आईआईएफसीएल द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर
- आईआईएफसीएल वे गतिविधियां जिसे आईआईएफसीएल ढांचागत विकास के लिए या तो प्रत्यक्ष तौर पर अथवा ठेकेदार द्वारा कार्यान्वित कर सकता है, सीएसआर प्रकोष्ठ के माध्यम से करेगा।
- आईआईएफसीएल द्वारा आवधिक क्रियाकलाप जैसे चिकित्सा शिविर संचालित करना, विद्यलालयों को वर्दी का वितरण, एवं चिकित्सालयों को एंबुलैंस/चिकित्सा उपकरणों का दान जैसी अन्य गतिविधियां भी की जाएंगी।
- वे गतिविधियां जो आईआईएफसीएल द्वारा इसकी प्रकृति, आकार व अन्य बाध्यताओं के कारण शुरू नहीं की जा सकती है, अन्य विकल्पों जैसे बाहरी विशेषज्ञताप्राप्त एजेंसी इत्यादि के माध्यम से कर्यान्वयन करने पर विचार करेगा।
- ठेकेदारों के माध्यम से निष्पादित किए जाने वाले सीएसआर कार्य आईआईएफसीएल के अन्य कार्यों के लिए अनुबंध प्रदान करने में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के अनुरूप किए जाएंगे।
- सीएसआर क्रियाकलाप से जुड़ी सामग्रियों के खरीद के लिए स्थानीय खरीद समिति गठित की जाएगी जो खरीद की कीमत पर निर्भर खरीद प्रक्रिया के अनुसार खरीद कार्य करेगी।
6.2 पंजीकृत न्यासों/समितियों के माध्यम से
- एक निश्चित समय सीमा के भीतर समग्र सतत विकास पर ध्यान केन्द्रित लंबे अंतराल की सीएसआर परियोजनाओं में समर्पित टीम की आवश्यकता होती है एवं ऐसी परियोजनाओं में इसी तरह की गतिविधियों में काम करने वाले प्रतिष्ठित न्यास/समितियों के माध्यम से कार्यान्वयन करने पर पूरा ध्यान केन्द्रित होना चाहिए।
- पंजीकृत न्यास/समिति की पहचान उनके प्रत्यय पत्र एवं संबंधित क्षेत्रों में लंबे समय तक किये गये निष्पादन के आधार पर की जाएगी और इसी तरह के कार्यक्रमों या परियोजनाओं को शुरू करने में तीन साल का एक स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड होगा। प्रमाणित निष्पादन एवं कर छूट लाभ वाले पंजीकृत न्यास/समिति को वरीयता दी जाएगी।
- क्रियाकलाप प्रारंभ करने के पश्चात निधि जारी करने का संबंध आज की तिथि के लक्ष्य के प्रति मूल्यांकन एवं परिणामों की उपलब्धि से होगा। . पंजीकृत न्यास/समितियां सीएसआर नीति के दायरे में अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में विशिष्ट प्रस्तावों के साथ स्वयं भी आगे आ सकते हैं। इस तरह के प्रस्तावों को सभी तरह से पूरा किया जाना चाहिए और उनकी साख और क्षमताओं के आधार पर उनका समर्थन किया जाना चाहिए।
- संपन्न किए गये कार्य के लिए पंजीकृत न्यास/समितियों के प्रत्येक दावे/किस्त समुचित बिलों से समर्थित होना चाहिए व दावे के समर्थन में रसीद व दस्तावेज सलंग्न किये जाने चाहिए।
6.3 संबंधित परियोजनाओं में राज्य/जिला प्राधिकरणों के माध्यम से
- ऐसे सीएसआर कार्य जो विभिन्न कारणों/बाधाओं के कारण आईआईएफसीएल द्वारा सीधे या पंजीकृत न्यास/समिति के माध्यम से या आईआईएफसीएल द्वारा स्थापित कंपनी के माध्यम से या इसकी नियंत्रक या सहायक या सहयोगी कंपनी के माध्यम से शुरू नहीं किए जा सकते हैं वे परियोजनाएं संबंधित राज्य/जिला प्राधिकरणों की सहायता से क्रियान्वित किये जाएंगे।
- राज्य/जिला प्राधिकरण भी विनिर्दिष्ट सीएसआर प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं। ऐसे मामलों में आईआईएफसीएल प्रस्तावों पर कार्य प्रारंभ करने एवं कार्यान्वयन के लिए संबंधित प्राधिकरणों को निधि जारी कर सकता है परंतु यह शर्त यह है योजनाएं आईआईएफसीएल की योजना के अनुरूप हो।
- जिला प्राधिकरणों/जिला अथवा राज्य प्राधिकरणों द्वारा नामित स्थानीय निकायों/एजेंसियों के माध्यम से कार्यान्वित ऐसे सीएसआर कार्यों में निधि प्रगति एवं उपादेयता प्रमाणपत्र के आधार पर यथोचित किस्तों में जारी की जाएगी।
7. सीएसआर परियोजनाओं/गतिविधियासें के लिए निगरानी कार्यनीति
सभी सीएसआर परियोजनाओं/गतिविधियों की निगरानी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर आईआईएफसीएल द्वारा की जाएगी एवं सीएसआर की मंडल स्तरीय समिति इस पर नजर रखेगी। निगरानी की कार्यनीति इस प्रकार होगी:-
7.1 आईआईएफसीएल /आईआईएफसीएल द्वारा स्थापित कंपनी या इसकी नियंत्रक अथवा सहायक अथवा सहयोगी कंपनी द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर शुरू की गई परियोजनाएं।
- आईआईएफसीएल द्वारा अथवा ठेकेदार के माध्यम से शुरू की गई परियोजनाओं की निगरानी सीधे सीएसआर प्रकोष्ठ करेगा।
- सीएसआर संबंधी कार्य के लिए संविदा प्रदान करने को अंतिम रूप गतिविधि को समय पर शुरू करने के लिए सीएसआर प्रकोष्ठ द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाएगा।
- चालू गतिविधियां जैसे विद्यालयों में वर्दी का वितरण, चिकित्सा शिविर इत्यादि का समन्वय सीएसआर प्रकोष्ठ करेगा।
- सीएसआर प्रकोष्ठ परियोजना प्रारंभ करने की तिथि से समय सीमा पर ध्यान रखेगा। गतिविधि की निगरानी के समय यदि कोई विलंब का पता चलता है तो परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए सुधारात्मक उपाय किये जा सकते हैं।
7.2 पंजीकृत न्यास/समितियों के माध्यम से
- कार्य में शामिल किसी प्रकार के हितों का टकराव की संभावना से बचने एवं निष्पक्षता व पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पंजीकृत न्यास/समितियों के माध्यम से शुरू की गई सीएसआर परियोजनाओं की निगरानी व मूल्यांकन बाहरी एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा। निगरानी का कार्य करने एवं अंतिम मूल्यांकन करने के लिए परियोजना के प्रारंभ से पूर्व आवश्यक मूल्यांकन अध्ययन करने से जुड़ी एजेंसी की सेवाओं का उपयोग करना उपयुक्त रहेगा।
- मूल्यांकन की आवधिकता का निर्णय प्रमुख कार्य निष्पादन संकेतों के आधार पर किया जाएगा। हालांकि समय-समय पर सीएसआर प्रकोष्ठ का कोई अधिकारी अथवा कोई अन्य अधिकारी को साइट पर जाकर कार्य निष्पादन की समीक्षा करने का निर्देश दिया जा सकता है।
- गतिविधि शुरू होने के उपरांत धनराशि अब तक के लक्ष्यों के परिणामों के मूल्यांकन और उपलब्धि से निरपवाद रूप से संबद्ध मामलों में जारी की जाएगी।
- यदि प्रगति लक्ष्य के अनुसार एवं जारी निधि के अनुपात में नहीं हुई है तो मूल्यांकन की समीक्षा के लिए सीएमडी/डब्ल्यूटीडी द्वारा उच्च स्तरीय समिति गठित की जा सकती है एवं यह समिति रिपोर्ट/संस्तुतियां प्रस्तुत करेगी।
- निधियां लक्ष्य की पूर्ति के उपरांत एवं पूर्व में जारी निधियों के अनुपात में जारी की जाएगी। गतिविधि की स्व संवहनीयता निर्धारित समय सीमा में इसके कार्यान्वयन के उपरांत स्थापित की जाएगी।
7.3 राज्य/जिला प्राधिकरणों से संबंधित परियोजनाओं के माध्यम से
- राज्य/जिला प्राधिकरणों के माध्यम से शुरू की गई परियोजनाओं की निगरानी आईआईएफसीएल एवं संबंधित विभाग दोनों द्वारा या तो संयुक्त रूप से या स्वतंत्र रूप से अथवा स्वतंत्र बाहरी एजेंसी द्वारा की जाएगी।
- आईआईएफसीएल द्वारा वित्तपोषण यथोचित किस्तों में उपलब्ध कराया जाएगा। कार्य शुरू करने के लिए पहली किस्त जारी करने के बाद अगली किस्त की निधि कार्य की प्रगति/संबंधित एजेंसी द्वारा प्रस्तुत उपयोगिता प्रमाणपत्र के आधार पर जारी की जाएगी।
- आईआईएफसीएल सीएसआर क्रियाकलापों की निगरानी व मूल्यांकन के लिए सामाजिक कार्य विभाग (डीएसडब्ल्यू), दिल्ली विश्वविद्यालय, टीआईएसएस इत्यादि जैसे संस्थानों की सेवाओं का इस्तेमाल भी कर सकता है। हालांकि सीएसआर कार्यान्वयन समिति संगठन के भीतर एवं बाहर यानि आंतरिक के अलावा बाहरी हिस्सेदार समेत कंपनी के सीएसआर एजेंडा के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा। निर्दिष्ट नोडल अधिकारी नियमित तौर पर मंडल स्तरीय समिति को सीएसआर क्रियाकलाप के कार्यान्वयन में प्रगति के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। मंडल स्तरीय समिति इन रिपोर्टों को समय-समय पर निदेशक मंडल को उनके सूचनार्थ, विचारार्थ एवं आवश्यक निर्देशार्थ प्रस्तुत करेगी।
8. लेखा परीक्षा
सभी सीएसआर क्रियाकलाप एवं उन पर किए गये व्यय कंपनी के लेखापरीक्षकों की लेखा परीक्षा के अधीन होंगे। कंपनी परियोजना के पूरा होने के 2-3 वर्षों के बाद किसी स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से अपनी सीएसआर कार्यक्रम के तहत कार्यान्वित परियोजनाओं की सामाजिक लेखा परीक्षा करेगा ताकि सीएसआर हस्तक्षेप के प्रभाव का आकलन किया जा सके।
9. सामान्य
- आईआईएफसीएल हर समय पर सामाजिक तौर पर जिम्मेदारी भरे तरीके में कार्य कर रहा है। सामान्य कारोबारी क्रियाकलापों में भी आईआईएफसीएल इस तरीके में कारोबार करता है जो कारोबार व समाज दोनों को लाभकारी हो।
- आईआईएफसीएल की सीएसआर नीति बाहरी हिस्सेदारों एवं आंतरिक हिस्सेदारों (विशेष तौर पर कंपनी के कर्मचारीगण) एवं इसके नियमित कारोबार प्रचालन व कियाकलापों को समान रूप से लागू होते हैं।
- सीएसआर नीति की विषय वस्तु को कंपनी की वेबसाइट में प्रदर्शित किया जाएगा।
- सीएसआर परियोजनाओं का जोर परिसंपतियों के सृजन पर होगा जिसके लिए जहां तक संभव हो भुगतान सीधे वेंडर को किया जाएगा।
- आईआईएफसीएल के अधिकारीगण परिसंपत्तियों को सौंपते समय उपस्थित रहेंगे।
- सीएसआर के तहत कौशल विकास कार्यक्रमों के संचालन करने के लिए सरकारी संस्थाओं को वरीयता दी जाएगी।
- कंपनी के कारोबार के सामान्य ढंग के अनुसरण में शुरू किए गये क्रियाकलाप सीएसआर क्रियाकलापों में शामिल नहीं किए जाएंगे।
- वे सीएसआर परियोजनाएं अथवा कार्यक्रम अथवा क्रियाकलाप जिससे कंपनी के कर्मचारीगण एवं उनका परिवार ही लाभान्वित होता हो, सीएसआर क्रियाकलाप के तौर पर नहीं माने जाएंगे।
- सीएसआर क्रियाकलाप पर तैनात कर्मचारी की दिहाड़ी व वेतन, यात्रा व दौरा, प्रशिक्षण व विकास पर व्यय सहित सभी प्रशासनिक व्यय का वहन सीएसआर निधि के तहत किया जाएगा।
- यदि यह पाया जाता है कि कार्यान्वयन के लिए शुरू की गई सीएसआर क्रियाकलाप यथोचित ढंग से क्रियान्वित नहीं पाई जाती है तो आईआईएफसीएल कार्यान्वयवन के समय पर किसी समय में अपने पूर्ण विवेक पर परियोजना का वित्तपोषण रोक सकता है।